Delhi Assembly Elections 2020 | Majority of Delhi voters think AAP will return to power: Survey
Delhi Assembly Elections 2020: When asked about who they thought would win the pending Assembly elcetions, 59.7 per cent voters said the AAP, 24.1 per cent said the BJP and only 2.4 per cent favoured the Congress.
FH.
AAP
https://en.wikipedia.org/wiki/Category:Aam_Aadmi_Party_candidates_in_the_2020_Delhi_Legislative_Assembly_election
ALL OF THEM
https://en.wikipedia.org/wiki/2020_Delhi_Legislative_Assembly_election
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Originally posted by san-hugo
5 Years Back we pow-wow'ed in this thread on Delhi Elections. Time flies !
Cut to 2020 - As of today total 25 Days to go ( Election 8 Feb , Results 11 Feb) to see once again how the epic battle between Modi and Kejriwal will Play. From looks of it AAP may edge out BJP/congress once again. Any guess on seat share ?
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Originally posted by zindabad
seems AAP will win delhi election . Again delhi ka thug will spread his Raita ... Sheila Dixit was better CM than Kejru . In last 4 years Kejru was trying to escape from his responsibility as a delhi CM and tried hard to be CM of either Goa and more tried for Punjab CM . Goa and Punjab people were wiser and not greedy like Delhitie . In Punjab he says dalit will be deputy CM bla.. bla... bla .. Delhi people deserves this Jocker ...
Mubarak ho delhi walo enjoy this thug's rule again ..
शाहीन बाग़ की नौटंकी और करीम लाला के कारनामों में कल एक बहुत महत्वपूर्ण खबर दब गयी.
और वो खबर थी मिजोरम की "ब्रू" जनजाति को लेकर जो २२ साल से अपने घर मिजोरम से दूर त्रिपुरा में अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए रह रहे थे...ब्रू जनजाति हिन्दू धर्म की वैष्णव परंपरा से है.
ब्रू मुख्यतः मिजोरम,त्रिपुरा और कुछ असम के हिस्सों में पाए जाने वाली जनजाति है. और मिजोरम की अगर बात करें तो ये मुख्यतः २ जिले "मामित" और "कोलासिब" में रहते हैं. इन्हें त्रिपुरा में "रियांग" भी कहा जाता है.
मिजोरम में ब्रू जनजाति और मिजो जनजाति के बीच 90 के दशक में लगातार संघर्ष चल रहा था...उसका एक मुख्य कारण ये था कि मिजो जनजाति जो कि वर्तमान में ईसाई रिलिजियन को फॉलो करती है वो ब्रू जनजाति को बाहरी वर्ग मानती थी. 1997 में ये संघर्ष बहुत हिंसक हो गए जिसके चलते ब्रू जनजाति से जुड़े अधिकांश लोगों को मिजोरम से अपने घर छोड़ कर त्रिपुरा में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा...
पूर्वोत्तर में जातीय पहचान को मुद्दा बना कर लोग अलग राष्ट्र की मांगें करते आये थे जिनपर पूर्व की भारत सरकारों ने ढुलमुल रवैय्या अपनाया हुआ था..मिज़ो उग्रवादी समूहों द्वारा भी इस तरह की मांगे रखी गयीं थीं..
जब मिजो उग्रवादी समूहों को लगने लगा कि उनकी अलग राष्ट्र की मांगें पूरी नहीं हो सकतीं तो उन्होंने हिंसक तरीके अपनाने शुरू किये और उस हिंसा की चपेट में सबसे पहले "ब्रू" जनजाति आयी जो कि धार्मिक रीतिरिवाजों में मिजो समुदाय से अलग थी.
साल 1995 में मिजो जनजाति से जुड़े यंग मिजो असोसिएशन और स्टूडेंट मिजो असोसिएशन ने ब्रू जनजाति को बाहरी घोषित कर दिया..
इसके बाद लगातार चलते संघर्ष का परिणाम ये हुआ कि साल 1997 में ब्रू जनजाति को अत्यधिक हिंसा का सामना करना पड़ा..और उनकी अधिकांश आबादी को मिजोरम छोड़कर त्रिपुरा भागना पड़ा.. ब्रू नेशनल यूनियन के मुताबिक लगभग उनके 1391 घरों और 41 गाँवों को जलाया गया और बड़ी संख्या में ब्रू समुदाय से जुड़े लोगों कि हत्या और महिलाओं के बलात्कार हुए.
इसके चलते लगभग 37000 ब्रू जनजाति से जुड़े लोग मिजोरम से भाग कर त्रिपुरा पहुँच गए..
सन 2010 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने 1600 ब्रू समुदाय से जुड़े 8000 लोगों को मिजोरम में बसाया था लेकिन मिजो समुदाय के विरोध के चलते इस पर काम आगे नहीं बढ़ सका.
पिछले 22 सालों में मात्र 5 हज़ार ब्रू समुदाय से जुड़े लोग वापस मिजोरम गए थे..और अब भी 32000 लोग त्रिपुरा में ही विस्थापित थे..
अब तक की सारी सरकारों के प्रयास व्यर्थ जाने के बाद मोदी सरकार ने CAA लागू करने के बाद एक और बड़ा कदम उठाया है..
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि त्रिपुरा में लगभग 30,000 ब्रू शरणार्थियों को बसाया जाएगा। उन्होंने इसके लिए 600 करोड़ के पैकेज का भी ऐलान किया।
साथ ही -------->
* सभी ब्रू विस्थापित परिवारों को 40x30 फुट का प्लाट दिया जाएगा
* आर्थिक सहायता के लिए प्रत्येक परिवार को 4 लाख रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट में..
* दो साल तक 5 हजार रुपये प्रतिमाह नकद सहायता..
* दो साल तक फ्री राशन व मकान बनाने के लिए 1.5 लाख रुपये दिये जाएंगे..
* इस नई व्यवस्था के लिए त्रिपुरा की भाजपा सरकार भूमि की व्यवस्था करेगी..
त्रिपुरा/असम/मिजोरम के मुख्यमंत्रियों के साथ दशकों पुरानी समस्या का शांतिपूर्ण समाधान केंद्र में 303 सीट और राज्यों में अपनी सरकारों के रहते संभव हुआ है.
न मीडिया ने कभी इन शरणार्थियों के बारे में दिखाया. न हम जैसे लोगों को भी कभी इनके होने का पता चला..
अब जब केंद्र सरकार ने पहल कर इन्हें न्याय दिया है तब जाकर अहसास हुआ है कि देश में एक मजबूत सरकार हो और राज्यों में उसके पास बहुमत हो तो दशकों पुरानी समस्याएं भी सुलझायी जा सकती हैं.
बहरहाल ये सबके समझने के लिए नहीं है..अभी भी एक बहुत बड़ी आबादी फ्री बिजली/फ्री पानी पर अपने हिसाब से वोट करती है..
ये संघर्ष हर किसी को नहीं दिखता..जिन्हें दिखता है उन्हें लड़ना पड़ता ही है.
200 यूनिट बिजली और गटर जैसे मुफ्त पानी के लिए बिकने वाले लोग कहाँ पाए जाते हैं ???????????
62 AAP - 08 BJP
Congrats to Educated Delhi Voter ! BJP's agenda of divisive hindu musilm politics is given a fitting answer. I hope this trend of voting based on performance will continue. Though the voters in Bengal , Bihar , Assam where next elections will be held , are of different nature. They get easily swayed by cancerous religious agenda of BJP. Time will Tell.
see ya back in 5 Years in this thread !
भाजपा दिल्ली चुनाव हारे या जीते!
हम मोदी जी के साथ थे और आजीवन भी भाजपा के साथ रहेंगे! जय हिंद
Free रोटी तो 🐕 #कुत्ते भी खाते हैं
भूख तो "राष्ट्रवाद" की होनी चाहिए
आखिरकार कांग्रेस की शतरंजी बिसात पर चली चालों से भाजपा हार ही गयी, भले ही खुद समाप्त हो गयी !
यह कांग्रेस का एक प्रयोग है, जो सफल रहा।।
1. कांग्रेस ने आप से गठबंधन नही किया, यदि कर लेती, तो भ्रस्टाचार आदि के नाम पर अमित शाह , केजरीवाल को ज़मीन पर ला देते, पर कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में केजरीवाल पर कोई हमला नही किया।।
यह बड़ी रणनीति थी, अंदर अंदर मिलकर रहो, मुस्लिम का वोट न बटे, क्योंकि कांग्रेस को पता था उसे सफलता नही मिल रही, BJP को रोकना बहुत जरुरी था
2. शाहीनबाग के लिए अमरिंदर सिंह ने पंजाब से 350 सरदारों का जत्था भेजा, ताकि सिखों का वोट केजरीवाल को ही मिले
3. केजरीवाल उकसाने पर भी शाहीनबाग नही गया, ताकि कोई भ्रम हिन्दुओ में न जा पाए।।
4. मुल्लों को खुलेआम 18000 की वेतन, पेंशन घोषणा कर वोटबैंक मज़बूत कर लिया। । लगभग 1 दर्जन प्रदेशो में मौलवी को पेन्सन, वेतन देकर मुस्लिम मतों को एकत्र किया जा रहा है, पर BJP अभी भी पण्डितों को वेतन, पेंशन देने में शर्म अनुभव कर रही है ???
5. BJP इसी सिर्फ दिल्ली मात्र की हार न समझे, यह बड़ी रणनीति है।। केजरीवाल ने जिस तरह हनुमानजी की कृपा बताया है, वह BJP के हिंदुत्व को कम करने में लगा रहेगा, मूर्ख हिन्दू फंसते रहेंगे।। केजरीवाल का भारतमाता की जीत कहना भी बड़े महत्वाकांक्षी संकेत दे रहा है,
6. केजरीवाल एक नौकरशाह रह चुका है, इसे सामान्य राजनीतिक मत समझना, दिल्ली चुनाव मे सारे कदम फूंक कर रखे है ,
7. अमानतुल्लाह जैसे जिहादी विधायकों की 90,000 वोट से सबसे बड़ी जीत, जो केजरीवाल की 16,000 वोट से 5 गुना बडी है, खतरनाक संकेत है।।
अभी केजरी आकर कहेगा कि दिल्ली में सच्चाई की जीत हुई है
अबे यह सच्चाई नही हरामखोरी और मुफ्तखोरी की जीत हुई है
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